Saturday, January 23, 2010

'मैं घराने की कुलीगीरी नहीं करता'



कुमार गन्धर्व यानी हिन्दुस्तानी संगीत का जीता-जागता नया सौंदर्यशास्त्र. कुमार गन्धर्व यानी बग़ावत. घरानों के खिलाफ बग़ावत. ऐसी बग़ावत जिसने घरानों के नाम पर चली आ रही 'श्रेष्टता' का पर्दाफाश किया बताया कि नक़ल कर लेने से कोई बड़ा नहीं होता. बड़ा होता है सृजन से, कुछ नया रचने से. 'मैं तोता राम नहीं हूँ'-- कहना है उनका.
कुमार गन्धर्व की बग़ावत से घरानेदार संगीत के हिमायतियों में खलबली मच गयी. जिन्हें अभिमान था कि संगीत को घरानों ने पनपाया है, उनके सामने अब ऐसा आदमी आ खड़ा हुआ जो कह रहा था कि घरानों की ही वजह से हमारा संगीत नीचे गया है. यह कोई छोटी बात नहीं थी, वह भी आज से साठ साल पहले.
नतीजा यह कि हर तरफ से हमले होने लगे कुमार पर. कोई कहता-"यह भी कोई गाना है इयेss करके बिल्लियों की तरह आवाज़ निकालना." (आचार्य बृहस्पति). बहुतों को कुमार के राग-रूपों से शिकायत होने लगी- "अगर राग के परंपरागत रूप की रक्षा नहीं कर सकते तो उसका नाम बदलकर कुछ और क्यों नहीं रख लेते?" किसी ने इलज़ाम लगाया-- "मेरे बनाये राग 'वेदी की ललित' में तुमने तीव्र निखाद लगा दी और कह दिया लगनगंधार! हमारे राग के ऊपर तुम एक सुर और नया लगाते हो!!"(पं. दिलीपचन्द्र वेदी). गरज यह कि परंपरा के प्रति भावुक लगाव रखने वाला हर संगीतज्ञ कुमार गन्धर्व को एक खतरे के रूप में देखने लगा. और यह ग़लत भी नहीं था. कुमार ने उन जड़ों को जोरदार झटका दे दिया था, जिन पर हिन्दुस्तानी संगीत का वटवृक्ष सीना ताने खड़ा था.
क्या सचमुच कुमार परंपरा-विरोधी हैं, इसकी पड़ताल के लिए हमने उन्हीं से पूछा- "कुछ लोगों का आरोप है कि आप परंपरा को नहीं..." इतना सुनना था कि आवेश में आ गए--"परंपरा के ऊपर आप क्यों इतने लट्टू होकर बैठे हैं? हमको समझ नहीं आता. फिर क्यों नहीं रहते आप पुरानी तरह से?यह इतना फ़ालतू लफ्ज़ है. लोग इसमें क्यों इतने अटके हैं? आप आगरा-फोर्ट देखने जाइए न! मैं तो नकार नहीं कर रहा. हम भी जातें है आपके साथ. अच्छा भी लगता है. आपको फिर राजा लोग चाहिए क्या? फिर बैलगाड़ी चाहिए आपको? यानी, फिर कुआँ चाहिए क्या? तो फ्लश-संडास निकल दीजिये घर से. आपको फ्लश-संडास भी चाहिए घर में, नल भी चाहिए और कुआँ भी चाहिए. और, कुआँ का अभिमान भी छूटना नहीं चाहिए आपको." (जारी...)
(तकरीबन बीस वर्ष पहले मुकेश गर्ग द्वारा कुमार गन्धर्व से की गयी बातचीत की पहली कड़ी)